हेल्लो दोस्तों कैसे है आप सब तो आज मैं Holi कब है,और होली क्यों मनाते हैं यह तो सभी को पता होगा पर क्या आपको सच में पता है होली क्यों मनाते हैं? जैसे की होली के दिन जिसमे बच्चे से लेकर बड़े व्यक्ति इस त्यौहार में बहुत ही धूम धाम सबके साथ मिलकर खुशियों से मनाते हैं इसलिए इस त्यौहार को सब खुशियों का त्यौहार भी कहते है।
होली का त्योहार क्यों मनाते हैं?
‘रंगों के त्यौहार’ के तौर पर मशहूर होली का त्योहार फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। तेज संगीत और ढोल के बीच एक दूसरे पर रंग और पानी फेंका जाता है। भारत के अन्य त्यौहारों की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार होली का त्योहार, हिरण्यकश्यप की कहानी जुड़ी है।
होली क्या है ?
होली क्या है होली का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है ये पर्व हर साल वसंत ऋतू के समय फागुन यानि की मार्च के महीने में आता है holi को पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और ये सबसे ज्यादा ख़ुशी देने वाला त्यौहार होता है. ये बसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दी ख़त्म हो जाती है और गर्मी की शुरुआत होती है.
महीने के 19 मार्च को देश भर में हर जगह होली खेली जाएगी. भारत के कुछ जगह में इस त्यौहार को किसान अच्छी फसल पैदा होने की ख़ुशी में भी मनाते हैं.
होली कैसे मनाई जाती है
आखिर होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? होली के इस त्यौहार से अनेको पौराणिक कहानियां जुडी हुई हैं जिनमे से सबसे प्रचलित कहानी है प्रह्लाद और उनकी भक्ति की. माना जाता है की प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बलशाली अशुर हुआ करता था जिसे ब्रह्म देव द्वारा ये वरदान मिला था की उसे कोई इंसान या कोई जानवार नहीं मार सकता, ना ही किसी अस्त्र या शस्त्र से, ना घर के बाहर ना अन्दर, ना ही दिन में और ना ही रात में, ना ही धरती में ना ही आकाश में.
होली कब से मनाया जाता है
इस होली के त्योहार की शुरुआत बुंदेलखंड में झांसी के एरच से हुई है. ये कभी हिरण्यकश्यप की राजधानी हुआ करती थी. यहां पर होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी, जिसमें होलिका जल गई थी लेकिन प्रहलाद बच गए थे. कहा जाता है तभी होली के पर्व की शुरुआत हुई थी.
होलिका कौन थी किसकी बहन थी?
बात करे की होलिका हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप नामक योद्धा की बहन और प्रह्लाद अनुहल्लाद , सहलाद और हलाद की बुआ थी। साथ ही ये महर्षि कश्यप और दिति की कन्या थी। इसका जन्म जनपद कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र नामक पवित्र स्थान पर हुआ था। उसको यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी।
होली महोत्सव का इतिहास
हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।
हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह था। वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। इसलिए अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना की। आखिरकार उसे वरदान मिला। लेकिन इससे हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा। इस दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रहलाद ने अपने पिता का कहना कभी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया।
उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी। उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है।
Holi सही तरीके से कैसे मनायी जाती है ?
Holi सही तरीके से कैसे मनाएं होली में सबसे पहले आपको गुलाल से होली खेलना चाहिए जिससे यह होगा आपके त्वचा पर ज्यादा नुक्सान नहीं होगा पहले होली के रंग प्राकृतिक चीजों से बनते थे जैसे फूलों से और उन्हें गुलाल कहा जाता था. वो रंग हमारी त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता था क्यूंकि उसमे कोई भी chemicals नहीं मिलाया जाता था. लेकिन आज के समय में दुकानों पर रंगों के नाम पर chemicals से बने powder बिकते हैं जो हम सबकी सेहत के लिए हानिकारक है खाश कर के बच्चों के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
होली के दिन क्या करना चाहिए ?
होली के दिन किसी गरीब या दुखरयरी की मदद करनी चाहिए।
रगों से खेलने के बाद अगर आपको कोई भी शारीरिक परेशानी होना शुरू हो जाये तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में इलाज करवाएं
होली के दिन आपके घरों में तरह तरह के पकवान बनते है तो आपको limit में खाना चाहिए जिससे आप के तबियत पर बुरा आसार न पड़े।
होली के दिन क्या नहीं करना है
इस अवसर पर हम गंदे और अश्लील मजाक कभी भी नहीं करने चाहिए।
इस दिन हमे ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे किसी के हृदय पर चोट पहुँचे।
होली वाले दिन हमे रंग, गुलाल या फिर पानी किसी भी जानवर, वृद्ध या मंदबुद्धि लोगों पर नहीं डालना चाहिए।
इस प्रकार प्रेम और एकता के इस होली के त्यौहार हमे हर्ष और उल्लास के साथ मनाना चाहिए।
Chemicals से बने रंग का इस्तेमाल बिलकुल भी ना करें।
रंगों को किसी भी व्यक्ति के आँख, नाक, मुह और कान में ना डालें।
होली का दिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाएं और अजनबियों से दूर ही रहे.
सस्ते chinese रंगों से दूर रहें क्यूंकि वो त्वचा के लिए बहुत हानिकारक है।
Post के बारे में :
हम आशा करते है की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और होली क्यों मानते है अगर आपका कोई सवाल है तो आप Comment में पूछ सकते है। और इस होली के त्यौहार को सबके साथ धूम धाम से मनाये और एक बात का ध्यान रखे chemical रगो का इस्तेमाल न करे ! और HAPPY HOLI ^-^
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